भर्ती के आंतरिक स्रोत के गुण

1. मनोबल वृद्धि : भर्ती का आंतरिक स्रोत कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाएगा। रिक्तियाँ होने पर उन्हें ऊंचे पद का भरोसा दिलाता है। वर्तमान कर्मचारियों को पदोन्नति में वरीयता दी जाती है। बाहरी को तभी रोजगार दिया जाता है जब आंतरिक तौर पर उपयुक्त उम्मीदवार उपलब्ध न हो।

2. उचित मूल्यांकन : प्रबंधन वर्तमान कर्मचारियों को ऊंचे पद के लिए विचार करने के पूर्व उनके प्रदर्शन के मूल्यांकन करने के लिए बेहतर स्थिति में होता है। एक बाहरी व्यक्ति जो मात्र साक्षात्कार के आधार पर कार्य पर रख लिया गया तो, बाद में उपयुक्त साबित नहीं भी हो सकता है। वर्तमान कर्मचारियों का सेवा अभिलेख रिक्तियों के लिए उपयुक्तता के अध्ययन में मार्गदर्शन हो सकता है।

3. मितव्ययी : आंतरिक भर्ती की विधि मितव्ययी भी होती है। व्यक्ति के चयन पर होने वाली लागत की बचत की जा सकती है। इसके अतिरिक्त भी आंतरिक उम्मीदवारों को किसी प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि वे संगठन के विभिन्न कार्यों से भलीभाँति परिचित होते
हैं।

4. निष्ठा बढ़ाना : भर्ती के आंतरिक स्रोत कर्मचारियों में निष्ठा बढ़ाते हैं ऊंचे पदों को भरते समय उनकी वरीयता पर विचार किया जाता है। वे कंपनी के अभिन्न अंग माने जायेंगे एवं इसके हितों को हमेशा बढ़ाने का प्रयत्न करेंगे।

5. प्रोत्साहन की तकनीक : आंतरिक भर्ती कर्मचारियों को प्रोत्साहन करने में सहायक हो सकती है। चूँकि पदोन्नति एवं ऊंचे उत्तरदायित्व की संभावना रहती है, कर्मचारी अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयासों का प्रदर्शन करेंगे।

6. सामाजिक प्रतिबद्धता/उत्तरदायित्व : वर्तमान कर्मचारियों को नए अवसर देकर संस्थान सामाजिक उत्तरदायित्व भी पूरा करता है। यह प्रत्येक संगठन की जिम्मेदारी है कि वह कर्मचारियों की इच्छाओं को ध्यान में रखकर उन्हें संतुष्ट करें।

7. कर्मचारियों में स्थायित्व : भर्ती का आंतरिक स्रोत कर्मचारियों के स्थायित्व को सुनिश्चित करता है। चूँकि संगठन उपयुक्त कर्मचारियों करेंगे। को बेहतर अवसर प्रदान करता है, वे संस्थान के साथ ही रहना पसंद
8. श्रमिक संघ का समर्थन : भर्ती के इस स्रोत को श्रमिक संघ का भी समर्थन प्राप्त है। श्रमिक संघ हमेशा वर्तमान कर्मचारियों के पक्ष का समर्थन करते हैं। अतः इस मामले में कोई विरोध नहीं होगा।

आंतरिक स्रोतों के अवगुण

1.आंतरिक स्रोत अक्सर नये पैदा करने के विरह एवं संगठन नये खून को आने में हतोत्साहित करता है।

2.यह संभावना होती है कि आंतरिक स्रोत सूख जायें तथा संगठन में ही आवश्यक व्यक्ति खोजने में कठिनाई आ जाये।

3.चूँकि प्रशिक्षु प्रशिक्षक से अधिक नहीं जानता अतः कोई भी नयी प्रक्रिया बनाई नहीं जा सकती। अतः उन कार्यों में जहाँ मौखिक चिंतन की आवश्यकता होती है इस प्रथा का पालन नहीं किया जाता है

4.व्यक्तियों के चयन में प्रबंधन की पसंद और नापसंद तथा व्यक्तिगत पक्षपात भी एक महत्त्वपूर्ण पारी अदा कर सकता है।

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