भर्ती के तरीके

भर्ती के तरीके भर्ती के स्रोतों से भिन्न हैं। स्रोत वे स्थान हैं जहाँ भावी कर्मचारी उपलब्ध होते हैं। दूसरी ओर तरीके वे रास्ते हैं जो भावी कर्मचारियों से संपर्क स्थापित करते हैं। कर्मचारियों की भर्ती के विभिन्न तरीके निम्न श्रेणियों में बाँटे गये हैं।

1. प्रत्यक्ष तरीके : प्रत्यक्ष भर्ती में कर्मचारी से संपर्क, व्यक्तियों का प्रदर्शन तथा प्रतीक्षा सूची का उपयोग होता है। खोजने के अंतर्गत संगठन के प्रतिनिधियों को शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण संस्थाओं में भेजा जाता है। ये यात्री भर्तीकर्त्ता विद्यार्थियों से जानकारी का आदान प्रदान करते हैं, उनकी शंकाओं का समाधान करते हैं, कार्य के लिए आवेदन करने हेतु प्रेरित करते हैं, परिसर साक्षात्कार का आयोजन करते हैं तथा आगे के परीक्षण के लिए छटाई करते हैं। ये नियोजन प्रमुख के सहयोग से कार्य करते हैं।

दूसरा प्रत्यक्ष तरीका है संगठन के कर्मचारियों से जनता से संपर्क कर उन्हें रिक्तियों के बारे में बताने को कहा जाता है। व्यक्तियों के प्रदर्शन में शामिल हैं भर्तीकर्त्ताओं को सेमीनार एवं सम्मेलन में भेजना, मेलों में प्रदर्शन करना तथा चलित कार्यालयों के वांछित केन्द्रों पर भेजने हेतु उपयोग करना। कुछ संगठन उन उम्मीदवारों की प्रतीक्षा सूची तैयार करते हैं जो व्यक्तिगत रूप से, घर से या टेलीफोन पर कार्य में अपनी रुचि को दर्शाते हैं।

2. अप्रत्यक्ष तरीके : अखबारों में, पत्रिकाओं में, रेडियो और टेलीविजन में विज्ञापन का उपयोग रिक्तियों के प्रसारण के लिये किया जाता है। एक सुविचारित तथा स्पष्ट विज्ञापन उम्मीदवारों को अपनी उपयुक्तता का निर्धारण करने में मदद करता है ताकि केवल वे जो आवश्यक योग्यता रखते हैं आवेदन करेंगे। यह तरीका तब उपयुक्त होता है जब संगठन भौतिक रूप से फैले एक बड़े समूह को लक्ष्य करता है। समुचित मात्रा में भरे जाने वाले पद एवं आवश्यक योग्यता का उल्लेख- विज्ञापन में किया जा सकता है परन्तु एक बड़ी संख्या में उम्मीदवार अनुपयुक्त हो सकते हैं।

भर्ती नीति

कम्पनी में सेविवर्गीय भर्ती कार्यक्रम निर्धारित करने के पूर्व सेविवर्गीय नीति के उद्देश्यों को भली-भाँति निश्चित कर लेना चाहिए। व्यापक अर्थ में एक भर्ती नीति में सेवानियोजक द्वारा निम्न सामान्य सिद्धान्तों के अनुपालन की वचनबद्धता होती है-

1.प्रत्येक कृत्य के लिए योग्य व्यक्ति की तलाश करना तथा उसे नियुक्त करना ।

2.योग्य व्यक्ति को कम्पनी में बनाये रखना।

3.जीवन-काल में कार्य के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण अवसर उपलब्ध करना ।

4.कृत्य से सम्बन्धित वैयक्तिक विकास के लिए कार्यक्रम तैयार करना।

5.वैयक्तिक विकास के लिए आवश्यक विभिन्न सुविधाएं प्रदान करना।

कम्पनी की भर्ती सम्बन्धी नीति स्पष्ट होनी चाहिए। स्पष्टता के साथ-साथ नीतियों मे लोच का गुण होना भी आवश्यक है। भर्ती सम्बन्धी नीति, जन-नीति, देश में प्रचलित विधान एवं न्याय के सिद्धान्त के अनुकूल होनी चाहिए। कम्पनी को अपनी भर्ती नीति व्यापक रूप से प्रसारित करनी चाहिए जिससे कि श्रमिक, श्रम संगठन तथा समाज के अन्य वर्गों को भी उस नीति का समुचित ज्ञान प्राप्त हो सके। भर्ती नीति सामान्यतः निम्नांकित बातों से सम्बन्धित होती है-

1.भर्ती करने का अधिकार किसे प्राप्त है? अधोवर्गी कृत्यों के लिए सामान्यतः विभागाध्यक्ष को यह अधिकार प्रदान किये जाते हैं जबकि वरिष्ठ अधिकारियों एवं प्रबन्धकों की भर्ती का अधिकार मुख्य प्रबन्धक अथवा संचालक मण्डल को प्रदान किया जाता है।

2.क्या कम्पनी के वर्तमान कर्मचारियों के सम्बन्धियों को भर्ती करते समय प्राथमिकता प्रदान की जायेगी। यदि हाँ, तो कब और किस प्रकार ?

3.कर्त्तव्य एवं व्यक्तिगत स्वार्थ में टकराहट को कैसे रोका या कम किया जाएगा। किसी व्यक्ति की उस विभाग में नियुक्ति पर रोक लगायी जा सकती है जहाँ कि उसका सम्बन्धी पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करता हो।

4. नीति के सम्बन्ध में कर्मचारियों को कोई ऐसा आश्वासन नहीं दिया जाना चाहिए, जिसे पूरा करना कठिन हो ।

5.किसी भी प्रकार की कोई गलत सूचना कर्मचारियों को प्रदान न की जाये।

6.कर्मचारियों की भर्ती योग्यता के आधार पर की जानी चाहिए।

7.भर्ती के सभी स्रोतों एवं पद्धतियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

8.कृत्य विश्लेषण, कृत्य विवरण आदि का प्रयोग, भर्ती के लिए किया जाना चाहिए।

भर्ती नीति की समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए और उसकी उपयोगिता का पता लगाया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक कम्पनी वर्तमान कर्मचारियों के पुत्र-पुत्रियों को भर्ती में प्रथम प्राथमिकता प्रदान करती है। इस नीति का उद्देश्य कर्मचारियों के मनोबल को ऊंचा उठाना है। कम्पनी को यह मालूम करना चाहिए कि क्या इस नीति के पालन से वास्तव में कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि हुई है? भर्ती के लिए उपयोग में लाये जाने वाले स्रोतों का भी समय-समय पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए। यह मूल्यांकन भर्ती स्रोतों की तुलनात्मक लागत, प्रार्थी संख्या एवं आवश्यक भर्ती संख्या तथा भर्ती व्यक्तियों की सेवा की अवधि के आधार पर किया जा सकता है।

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