जॉब विश्लेषण के उद्देश्य
प्रत्येक श्रेणी-जॉब विवरण, जॉब विशिष्टीकरण एवं जॉब मूल्यांकन, जॉब विश्लेषण प्रक्रिया में एक विशिष्ट उद्देश्य को पूरा करती हैं। ये तीन परिणाम हैं जो कि जॉब विश्लेषण से प्राप्त किए जाते हैं। जॉब विश्लेषण के बारे में यह गलत धारणा है कि यह एक वास्तविक उत्पाद है। यह नहीं है। जॉब विश्लेषण वैचारिक, विश्लेषणात्मक प्रक्रिया या क्रिया है जिससे हम हमारे वास्तविक परिणामों को विकसित करते हैं-जॉब विवरण, जॉब विशिष्टीकरण तथा जॉब मूल्यांकन । अब हम इन तीनों परिणामों की चर्चा करेंगे-
(1) जॉब विवरण-जॉब विवरण इस बात का एक लिखित कथन है कि जॉब holder क्या करता है, यह किस तरह किया जाता है एवं यह क्यों किया जाता है। इसे जॉब content, पर्यावरण एवं रोजगार की दशाओं को सही से बताना चाहिए। जॉब विवरण के एक सामान्य प्रारूप में जॉब शीर्षक, किए जाने वाले कर्त्तव्य, जॉब के विशिष्ट लक्षण एवं जॉबधारी की सत्ता तथा जिम्मेदारियाँ शामिल होती हैं।
जब हम कर्मचारी की भर्ती, चयन एवं मूल्यांकन का वर्णन करते हैं, तब हम पाते हैं कि जॉब विवरण निम्न के लिए महत्त्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करता है-
(1) संभावित उम्मीदवारों को जॉब का वर्णन
करने में (या तो भर्तीकर्त्ताओं एवं साक्षात्कारकर्त्ताओं द्वारा शाब्दिक रूप में या लिखित विज्ञापनों में)
(2) नए hired कर्मचारियों को इस बात में निर्देशित करना जिनके करने की उनसे विशिष्टतः आशा की जाती है एवं इस बात का मूल्यांकन करने हेतु तुलना का एक बिन्दु उपलब्ध
(3) कराना कि क्या एक जॉब पदाधिकारी की असल गतिविधियाँ बताए गए कर्त्तव्यों के समान हैं या नहीं।
(2) जॉब विशिष्टीकरण-जॉब विशिष्टीकरण न्यूनतम स्वीकार्य योग्यताओं को बताता है जो सफलतापूर्वक जॉब करने के लिए पदाधिकारी में होनी चाहिएं। जॉब विश्लेषण द्वारा प्राप्त सूचना पर आधारित जॉब विशिष्टीकरण जॉब को प्रभावशाली ढंग से करने के लिए जरूरी ज्ञान, कुशलताओं तथा क्षमताओं की पहचान करता है। जॉब विशिष्टीकरण में बताए गए व्यक्तिगत लक्षणों को धारण करने वाले व्यक्तियों के उन व्यक्तियों की तुलना में जॉब के ज्यादा प्रभावशाली तरह से करने की संभावना होती है जिनमें ये व्यक्तिगत गुण नहीं होते। अतः जॉब विशिष्टीकरण चयन प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है क्योंकि यह पदाधिकारी द्वारा जॉब को करने के लिए जरूरी योग्यताओं की सूची पर चयनकर्त्ता का ध्यान बनाए रखती है एवं इस बात को निर्धारित करने में सहायता करती है कि क्या उम्मीदवार योग्य हैं।
(3) जॉब मूल्यांकन-जॉब विवरण एवं जॉब विशिष्टीकरण के लिए डाटा उपलब्ध कराने के साथ ही जॉब विश्लेषण उस सूचना को उपलब्ध कराने में भी मूल्यवान होता है जो जॉब्स की तुलना को संभव बनाता है। यदि एक संगठन को समानुकूल पारिश्रमिक प्रोग्राम, जॉब्स जिनकी कुशलताओं, शिक्षा एवं अन्य व्यक्तिगत लक्षणों के संदर्भ में माँगें समान हैं, उन्हें समान पारिश्रमिक समूहों में रखना चाहिए। जॉब मूल्यांकन उस लक्ष्य की तरफ संगठन में हर जॉब के विशिष्ट मूल्य को निर्दिष्ट करके योगदान करता है। इस तरह जॉब मूल्यांकन पारिश्रमिक प्रशासन का एक महत्त्वपूर्ण भाग है।
जॉब विश्लेषण के साथ संभावित समस्याएं
जॉब विश्लेषण करते समय बहुत सी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। प्रमुख समस्याओं का वर्णन नीचे किया गया है-
(1) उच्च प्रबन्ध से सहयोग ज्यादातर स्थितियों में उच्च प्रबन्ध का सहयोग नहीं मिलता। उच्च प्रबन्ध को कर्मचारियों को यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि उनकी पूर्ण एवं ईमानदार भागिता इस प्रक्रिया के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह संदेश प्रायः संप्रेषित नहीं होता है।
(2) एकल माध्यम तथा स्रोत इसका सम्बन्ध जॉब विश्लेषण की प्रक्रिया में दोष से है। डाटा को संग्रहित करने की बहुत सी सिद्ध विधियाँ तथा स्रोत हैं। बहुत बार विश्लेषक इनमें से सिर्फ एक विधि पर निर्भर रहते हैं जबकि दो विधियों का संयोग बेहतर डाटा उपलब्ध करा सकता है।
(3) कोई प्रशिक्षण या अभिप्रेरणा नहीं इसका सम्बन्ध भी जॉब विश्लेषण प्रक्रिया में दोष से है। जॉबधारी जॉब के बारे में सूचना के महत्त्वपूर्ण स्रोत होते हैं। लेकिन वे जॉब विश्लेषण के लिए गुणवत्ता डाटा उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षित या अभिप्रेरित नहीं होते हैं। साथ ही जॉब धारियों को डाटा की महत्ता के बारे में शायद ही कभी बताया जाता है एवं सही डाटा उपलब्ध कराने के लिए उन्हें कभी पुरस्कृत नहीं किया जाता।
(4) गतिविधियाँ विकृत हो सकती हैं-जहाँ प्रशिक्षण तथा तैयारी नहीं होते हैं, वहाँ जॉबधारी विकृत डाटा या तो जानकर या बगैर जानकर प्रस्तुत कर सकते हैं। उदाहरण के लिए कर्मचारियों के तेज कार्य करने की संभावना होती है, अगर उन्हें पता हो कि उन पर नजर रखी जा रही है।