जॉब विश्लेषण की विधियाँ
जॉब सूचना का संग्रहण जॉब विश्लेषण की प्रक्रिया में प्रथम तथा सबसे महत्त्वपूर्ण कदम है। सूचना को एकत्रित करने की निम्न विधियाँ हैं-
(1) प्रश्नावली विधि इस विधि के अंतर्गत सभी जॉब-holders के मध्य एक प्रश्नावली बाँटी जाती है। इस प्रश्नावली में कई तरह के प्रश्न रहते हैं एवं इन प्रश्नों के उत्तर जॉब-holders से चाहे जाते हैं। प्रश्नावली विधि के द्वारा कर्मचारियों के कार्य, उनके द्वारा सामना की जा रही समस्याओं, जॉब्स में अंतर्निहित जिम्मेदारियों आदि पर सूचना को एकत्रित किया जाता है। सभी तरह के जॉब्स के लिए कोई एक प्रश्नावली उचित नहीं होती है। हालांकि उनमें से ज्यादातर का प्रारूप इस तरह होता है-पहले जॉब को पहचानो, तब प्रमुख शामिल कार्यो पर सूचना चाहो एवं तब डिजाइन किए गए प्रश्न सूचना संतुष्ट कर्मचारियों की मानसिक कुशलताओं तथा भौतिक जरूरतों को पता करो।
(2) व्यक्तिगत साक्षात्कार विधि- इस विधि के अंतर्गत विश्लेषक जॉब्स से सम्बन्धित सभी सूचना को कर्मचारी के साथ प्रत्यक्ष साक्षात्कार सत्रों की व्यवस्था करके प्राप्त करता है। इस विधि के अंतर्गत सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तरों को आपसी बातचीत, हावभावों, postures आदि के आधार पर रिकॉर्ड किया जाता है। जॉब विश्लेषण की यह विधि समय लगाने वाली एवं महँगी है। हालांकि विश्लेषक का श्रमिक या कर्मचारी से प्रत्यक्ष संपर्क प्रति परीक्षा को संभव बनाता है एवं ज्यादा सटीक एवं विस्तृत डाटा प्राप्त किया जा सकता है। साक्षात्कार हमेशा खाली समय में लिया जाना चाहिए।
(3) अवलोकन विधि- इस विधि के अंतर्गत विश्लेषक कार्य एवं श्रमिक का अवलोकन करता है जब वह कार्य कर रहा होता है। जॉब विश्लेषण की यह विधि व्यक्तिगत साक्षात्कार विधि के समान किसी अन्य विधि की तुलना में प्रायः ज्यादा सटीक डाटा उपलब्ध कराती है। यह विधि उन जॉब्स में बहुत उपयोगी है जिनमें अवलोकन योग्य शारीरिक योग्यता शामिल होती है। हालांकि यह विधि आसान है, लेकिन इसका प्रयोग सिर्फ उन जॉब्स में किया जा सकता है जिनमें सरल तथा पुनरावृत्ति प्रकृति का कार्य होता है।
(4) रिकॉर्ड विधि- इस विधि के अंतर्गत विभिन्न जॉब सूचना को सेविवर्गीय विभाग के पुराने रिकॉर्डों से प्राप्त किया जाता है। विश्लेषक इन रिकॉर्डों का अध्ययन करके, उसके द्वारा चाही गई सूचना को नोट करता है। यह सूचनाएं कर्मचारी द्वारा किए गए दायित्वों, ऐसे जॉब के शुरू व खत्म समय आदि से सम्बन्धित हो सकती हैं। यह विधि समय खर्च करने वाली है एवं विश्लेषण का उद्देश्य हार जाता है यदि रिकॉर्ड पुराने हों।
(5) समूह साक्षात्कार विधि-यह विधि व्यक्तिगत साक्षात्कार विधि के समान है। सिर्फ यह अंतर है कि कई जॉब पदधारियों का साक्षात्कार एक साथ लिया जाता है। इस तरह शुद्धता बढ़ जाती है परन्तु एक समूह में पदधारियों के अलग-अलग दृष्टिकोणों के कारण प्रभावशीलता प्रभावित हो सकती है।
(6) तकनीकी कान्फ्रेन्स विधि-यह विधि जॉब के विस्तृत ज्ञान वाले निरीक्षकों का प्रयोग करती है। यहाँ एक जॉब के विशिष्ट लक्षण विशेषज्ञों से प्राप्त किए जाते हैं। हालांकि यह एक अच्छी डाटा संकलन विधि है। यह प्रायः पदधारी श्रमिकों के इस बारे में अवबोधों की अवहेलना करती है कि वे अपने जॉब में क्या करते हैं।
(7) डायरी विधि-इस विधि में जॉब पदधारियों को उनकी प्रतिदिन की गतिविधियों को डायरी के रूप में रिकॉर्ड करना होता है। यह बहुत सूचना उपलब्ध कराती है लेकिन बहुत कम जॉब गतिविधियों पर लागू होती है। डायरी विधि, जॉब विश्लेषण की सभी विधियों में सबसे निर्देशात्मक है. जिसमें पदधारियों द्वारा अतिरिक्त कार्य करना होता है एवं इस तरह यह ज्यादा समय लेती है। गतिविधियों की संपूर्ण श्रृंखला को शामिल करने के लिए इस विधि को लंबे समय तक जारी रखना पड़ सकता है जिससे इसकी लागतें बढ़ जाती हैं।