जॉब विश्लेषण का महत्त्व

(1) मजदूरी तथा वेतन प्रशासन में सहयोगी-मजदूरी एवं वेतन के बीच में विषमताएं दूर की जा सकती हैं एवं जॉब विश्लेषण द्वारा आसानी से हटायी जा सकती हैं। स्वयं की इकाई की मजदूरी दरों की तुलना दूसरों की मजदूरी दरों से की जा सकती है। मजदूरी दरों से सम्बन्धित विभिन्न सर्वेक्षण करवाए जा सकते हैं एवं उस प्रकाश में उचित मजदूरी नीति अपनाई जा सकती है। अत: जॉब विश्लेषण वेतन प्रशासन में मददगार हो सकता है।

(2) प्रशिक्षण प्रोग्राम्स एवं संशोधन नीतियों में मददगार- सिर्फ जॉब मूल्यांकन के आधार पर हम प्रबन्धकों एवं कर्मचारियों के बारे में पर्याप्त जान सकते हैं। यह विभिन्न प्रशिक्षण प्रोग्राम्स के निर्माण के लिए आवश्यक होता है। जॉब विश्लेषण सेविवर्ग के लिए प्रशिक्षण की जरूरत को भी निर्धारित करता है।

(3) सेविवर्ग के चयन में मददगार- जब जॉब विश्लेषण के द्वारा । सभी विवरण पता चल जाता है तब यह आसानी से निश्चित किया जा सकता है कि किस तरह के योग्य व्यक्ति की जरूरत है? यह जरूरी योग्यताओं के साथ व्यक्तियों के चयन में सहायता करता है। न तो बहुत ज्यादा योग्य न सबसे कम योग्य व्यक्तियों को चुना जाता है। जरूरी समय तथा पैसे की जॉब विश्लेषण के कारण बचत होती है क्योंकि प्रमुख उद्देश्य कार्य की जरूरतों तथा श्रमिकों की योग्यता, रुचि एवं क्षमता के बीच में संतुलन बनाए रखना है।

(4) जॉब मूल्यांकन में मददगार-जॉब मूल्यांकन की वैधता जॉब विश्लेषण द्वारा प्राप्त परिणामों पर निर्भर होती है। जॉब विश्लेषण के बिना, जॉब मूल्यांकन की तुलना व्यक्तिगत एवं निजी स्तर पर नहीं की जा सकती। सिर्फ जॉब विश्लेषण के द्वारा विभिन्न जॉब्स एवं उनकी मजदूरी दरों के तुलनात्मक मूल्यांकन किए जा सकते हैं। इस तरह जॉब विश्लेषण, जॉब मूल्यांकन का आधार निर्मित करता है।

(5) सेविवर्ग मूल्यांकन तथा निर्देशन को सुविधाजनक बनाता है-किसी विशिष्ट जॉब या कार्य को करने के लिए जरूरी विशिष्ट योग्यताएं या क्षमताएं जॉब विश्लेषण के द्वारा जानी जाती हैं। व्यक्ति की स्वयं की योग्यताओं या क्षमताओं के संदर्भ में इनके अनुसार व्यक्ति जॉब का चयन कर सकता है।

(6) स्वस्थ सेविवर्ग नीतियों का आसानी से निर्माण- परफॉर्मेन्स मूल्यांकन, पदोन्नतियाँ, सेवानिवृत्तियाँ, स्थानांतरण, कर्मचारी-मूल्यांकन एवं अच्छे श्रमिक सम्बन्धों का विकास जॉब विश्लेषण के द्वारा विकसित करना आसान हो जाता है अतः इससे स्वस्थ सेविवर्ग नीतियों का निर्माण होता है।

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