जॉब विश्लेषण की परिभाषाएं

सही सेविवर्ग को सबसे वैज्ञानिक आधार पर hire करने के लिए,प्रारंभ में ही सेविवर्ग के एक मानक को पहले से ही निर्धारित करना जरूरी हो जाता है जिसके साथ आवेदकों की तुलना की जा सके। अन्य शब्दों में विभिन्न जॉब्स तथा कर्त्तव्यों के साथ assign किए जाने वाले सेविवर्ग में न्यूनतम स्वीकार्य योग्यताओं को स्थापित करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए जाने चाहिए। संक्षेप में मानव-शक्ति की गुणात्मक अवधारणा पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए इसके पहले कि सेविवर्ग को कार्य के लिए वास्तव में रखा जाए। यह प्रक्रिया ही ‘जॉब विश्लेषण’ कहलाती है।

जॉन ए. शुबिन की राय में ‘जॉब विश्लेषण वर्क डाटा का कायदे से संकलन एवं अध्ययन है ताकि हर व्यवसाय इस तरह से परिभाषित तथा लक्षणित हो सके कि इसे सभी दूसरों से अलग दिखाया जा सके’।

क्लोशियर तथा स्त्रीगल के अनुसार ‘जॉब विश्लेषण जॉब के ऑपरेशन्स, दायित्वों तथा जिम्मेदारियों को आलोचनात्मक रूप से मूल्यांकन करने की प्रक्रिया है’।

एडविन बी. फ्लिप्पो की राय में ‘जॉब विश्लेषण एक विशिष्ट जॉब के ऑपरेशन्स तथा जिम्मेदारियों से सम्बन्धित सूचना के अध्ययन तथा संग्रहण की प्रक्रिया है’।

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जॉब विश्लेषण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कार्य, दायित्व तथा जिम्मेदारियों का निर्वचन किया जाता है। इसके द्वारा सभी सम्बन्धित तथ्यों के बारे में ज्ञान प्राप्त किया जाता है। साथ ही जॉब विश्लेषण के द्वारा कर्मचारियों की कार्य के प्रति जिम्मेदारियों, कार्य की दशाओं, उनके स्वभाव, कर्मचारियों द्वारा संभावित पारिश्रमिक या मजदूरी, उनकी क्षमताओं, योग्यताओं आदि को जाना जा सकता है।

जॉब विश्लेषण की प्रक्रिया

जॉब विश्लेषण प्रमुखतः एक स्टाफ फंक्शन है। इसे सेविवर्ग खण्ड द्वारा परिवर्तित करना होता है। ऐसे विश्लेषण में प्रक्रिया में प्रमुखतः डाटा संग्रहण शामिल होता है। निम्न को प्रक्रिया में प्रमुख चरणों के रूप में शामिल किया जा सकता है-

(1) तथ्यों का संग्रहण – इसका सम्बन्ध वास्तविक सामग्री से है जिसका संग्रहण किया जाता है। इसके लिए तकनीकों में प्रश्नावलियाँ, अवलोकन तथा साक्षात्कार शामिल हो सकते हैं। दो प्रमुख प्रकार की सूचनाएं जैसे जॉब से सम्बन्धित अर्थात् भौतिक एवं साथ ही सामाजिक पर्यावरण तथा वित्तीय दशाएं आदि एवं जॉब hold करने वाले व्यक्तियों की योग्यताओं के सम्बन्ध में अर्थात् उनकी भौतिक तथा बौद्धिक माँगें आदि के बारे में पता होना चाहिए।

(2) जॉब विवरण तथा विशिष्टीकरण – जॉब विश्लेषक को संग्रहित सूचना को एक मानक जॉब विवरण फॉर्म में एक विस्तृत ड्राफ्ट के रूप में रखना होता है। जॉब से सम्बन्धित सभी गतिविधियाँ कथन में दिखाई जाती हैं। ये विवरण फॉर्म बाद में संदर्भ के लिए उपयोग किए जा सकते हैं। विशिष्टीकरण कथन में जॉब पर लगाए जाने वाले व्यक्तियों की न्यूनतम स्वीकार्य योग्यताएं शामिल होनी चाहिए। क्योंकि व्यक्तियों की योग्यताओं को मापने के मानक निर्दिष्ट किए जाते हैं, इसका उपयोग जॉब के लिए उपयुक्त व्यक्तियों के चयन में किया जाता है।

(3) रिपोर्ट इकट्ठी करना-इकट्ठी की गई सूचना के आधार पर अंततः एक रिपोर्ट को ड्राफ्ट किया जाता है जिसमें जॉब • विभिन्न गतिविधियाँ एवं इन जॉब्स से सम्बन्धित किए जाने वाले व्यक्तियों के गुणों का विश्लेषण शामिल होता है। इस रिपोर्ट को निरीक्षक तथा प्रबन्धक (सेविवर्ग) के सामने पेश करने पर, सुझाव तथा रायें भी सामने आ सकते हैं। यदि जरूरी हुआ तो सुझावों तथा रायों के प्रकाश में मौलिक रिपोर्ट उसके अनुसार संशोधित की जा सकती है।

(4) उच्च कार्यपालक द्वारा स्वीकृति-जब रिपोर्ट निरीक्षक तथा सेविवर्ग प्रबन्धक द्वारा स्वीकृत कर दी जाती है, तब इसे उच्च कार्यपालक सामने प्रस्तुत करना होता है। प्रायः श्रमिक नेता या श्रम संघ श्रमिकों को भी अंतिम स्वीकृति के लिए विश्वास में ले लिया जाता है। यदि उनके सुझाव पर्याप्त तथा आकर्षक पाए जाते हैं तो ऐसे परिवर्तन भी जॉब विवरण तथा विशिष्टीकरण में शामिल किए जा सकते हैं। अंतिम ड्राफ्ट को सेविवर्गीय प्रबन्धक या उच्च लाइन के कार्यपालक द्वारा स्वीकृति मिलना चाहिए।

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